वर्षों से संचित शत्रु के मान को भंग करके आपको संतोष अवश्य मिल सकता है
परंतु वह शत्रु अपने जीवन के शेष हर पल उस अपमान के प्रति उत्तर में लगा देता है
वर्षों से संचित शत्रु के मान को भंग करके आपको संतोष अवश्य मिल सकता है
परंतु वह शत्रु अपने जीवन के शेष हर पल उस अपमान के प्रति उत्तर में लगा देता है